तंबाकू, शराब, मांस और मदिरा से क्यों दूर रहना चाहिए? – प्रेमानंद जी महाराज का प्रवचन
🚫 तंबाकू, शराब, मांस और मदिरा से क्यों दूर रहना चाहिए? – प्रेमानंद जी महाराज का प्रवचन
लेखक: bharat-bulletin-l | श्रेणी: प्रवचन, भक्ति |
🙏 प्रेमानंद जी महाराज का स्पष्ट संदेश
संत श्री प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचनों में अनेक बार कहा है कि –
"भक्ति वही सफल होती है, जिसमें साधक का तन भी शुद्ध हो और मन भी। जो लोग तंबाकू, शराब, मांस और मदिरा का सेवन करते हैं, वे चाहे कितनी भी पूजा कर लें, उनका मन भगवान में स्थिर नहीं होगा। नशा और मांस भक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है।"
🍂 तंबाकू: धीरे-धीरे मौत का कारण
तंबाकू न केवल शरीर को कमजोर करता है, बल्कि भक्ति मार्ग की सबसे बड़ी बाधा भी है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो तंबाकू का सेवन फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और दांतों का नुकसान करता है। वहीं संतों का कहना है कि तंबाकू से साधक की एकाग्रता, स्मरण शक्ति और शांति नष्ट हो जाती है।
महाराज जी ने कहा – "तंबाकू पीने वाला व्यक्ति चाहे लाख जप कर ले, उसका मन स्थिर नहीं होगा। यह आदत साधना को निगल जाती है।"
👉 तंबाकू छोड़ने का उपाय, तंबाकू के नुकसान, तंबाकू और भक्ति
🍷 शराब और मदिरा: परिवार और भक्ति की दुश्मन
शराब एक ऐसा जहर है जो शरीर के साथ-साथ परिवार को भी नष्ट कर देता है। एक रिसर्च के अनुसार, शराब पीने वालों के घरों में कलह, झगड़े और आर्थिक समस्या अधिक होती है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देती है और इंसान को अपराध व पाप की ओर धकेल देती है।
महाराज जी कहते हैं – "शराब पीने वाला कभी सच्चा भक्त नहीं हो सकता। शराब से विवेक नष्ट हो जाता है, और बिना विवेक का साधक भक्ति में असफल हो जाता है।"
👉 शराब छोड़ने का उपाय, शराब और पाप, शराब के नुकसान
🥩 मांसाहार: करुणा और भक्ति का हत्यारा
मांसाहार को केवल भोजन नहीं, बल्कि पाप माना गया है। वेद, पुराण और संत प्रवचनों में स्पष्ट कहा गया है कि जो जीव हत्या करता है, वह कभी मोक्ष नहीं पा सकता। भक्ति का मूल आधार है करुणा और दया, लेकिन मांस खाने वाला हृदय से कठोर हो जाता है।
"मांस खाने वाला कभी भी भगवान के चरणों में प्रेम नहीं कर सकता। जो जीवों की हत्या करता है, उसके हृदय में भक्ति का प्रकाश नहीं जल सकता।" – प्रेमानंद जी महाराज
👉 मांसाहार के नुकसान, मांस त्याग के फायदे, मांसाहार और धर्म
✨ भक्ति मार्ग पर चलने के उपाय
महाराज जी हमेशा अपने प्रवचन में यह उपाय बताते हैं:
- सबसे पहले तंबाकू, शराब और मांस का पूर्ण त्याग करें।
- नियमित रूप से राम नाम, कृष्ण नाम या शिव नाम का जप करें।
- सत्संग में भाग लें और संतों की वाणी सुनें।
- सात्विक और शुद्ध भोजन ग्रहण करें।
- जीवों पर दया और दूसरों की सेवा को जीवन का आधार बनाएं।
👉 भक्ति मार्ग, सत्संग, संतों का संदेश
तंबाकू, शराब, मांस और मदिरा केवल शरीर को ही नहीं, आत्मा को भी नष्ट करते हैं। प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन हमें यही सिखाते हैं कि जब तक हम इन बुरी आदतों को नहीं छोड़ेंगे, तब तक भक्ति और साधना का सच्चा फल नहीं मिलेगा।
👉 आज ही संकल्प लें कि हम इन बुरी आदतों से मुक्त होकर एक शुद्ध, सात्विक और भक्ति-पूर्ण जीवन जिएँगे। यही सच्चा धर्म है और यही इंसान का असली कर्तव्य भी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें