शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन (SCO) • तियानजिन, चीन
PM मोदी की चीन यात्रा 2025: SCO समिट से निकले बड़े संकेत, विशेषज्ञ विश्लेषण, वीडियो और फोटो
यात्रा का संदर्भ: क्यों अहम है यह दौर?
सात साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा (तियानजिन में 25वाँ SCO शिखर सम्मेलन) कई स्तरों पर ऐतिहासिक रही—यह समय है जब भारत-चीन संबंध, यूएस-इंडिया टैरिफ/व्यापार तनाव और यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दे वैश्विक शक्ति समीकरण को बदल रहे हैं। समिट के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने “bullying behaviour” और “cold war mentality” की आलोचना की, जबकि राष्ट्रपति पुतिन ने पश्चिम को यूक्रेन संकट के लिए दोषी ठहराया; वहीं भारत ने आतंकवाद पर सख़्त रुख और सीमा-शांति को प्राथमिकता बताई।
ऑन-ग्राउंड हाइलाइट्स (वीडियो)
ऊपर: तियानजिन में SCO समिट के दौरान PM मोदी का संबोधन (पूरी स्पीच)।
ऊपर: पुतिन के साथ मुलाक़ात और समिट के प्रमुख बिंदु।
फोटो/पोस्ट (एम्बेड/लिंक)
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क्या बोले PM मोदी: भारत की प्राथमिकताएँ
- तीन स्तंभ: सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर—आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ़ संयुक्त कार्रवाई, फंडिंग/कट्टरपंथ रोकने पर ज़ोर।
- कनेक्टिविटी: चाबहार, INSTC जैसे प्रोजेक्ट्स के माध्यम से क्षेत्रीय व्यापार/विश्वास निर्माण।
- सीमा-शांति: प्रगति के लिए शांति/स्थिरता अनिवार्य; 2020 के बाद की सच्चाइयों को ध्यान में रखते हुए शांत सीमाएँ द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद।
Modi–Xi मुलाक़ात: ‘पार्टनर्स, नॉट राइवल्स’ का संदेश?
दोनों नेताओं ने संबंध सुधारने की प्रतिबद्धता जताई—खासकर व्यापार घाटा घटाने, मार्केट एक्सेस और सीमा-स्थिरता पर। भारत ने स्पष्ट किया कि सहयोग परस्पर संवेदनशीलता और सम्मान पर आधारित होना चाहिए। यह रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) के ढांचे में फिट बैठता है—भारत न तो किसी एक ब्लॉक में पूरी तरह झुकेगा, न ही अपने हितों से समझौता करेगा।
Putin से द्विपक्षीय: ऊर्जा, रक्षा और बहुध्रुवीयता
मोदी-पुतिन बातचीत में ऊर्जा, उर्वरक, रक्षा-सहयोग और भुगतान/मुद्रा-विविधीकरण पर चर्चा रही। यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख—कूटनीति और संवाद—दोहराया गया। यह मुलाक़ात समिट के सबसे चर्चित विजुअल्स में रही।
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं? (राजनीतिक विश्लेषण)
- भू-रणनीतिक संकेत: चीन-रूस-भारत की एक साथ मौजूदगी ने ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं और बहुध्रुवीय व्यवस्था की बहस को तेज़ किया।
- यूएस-इंडिया ट्रेड टैरिफ: वॉशिंगटन के टैरिफ/कठोर बयानों की पृष्ठभूमि में भारत अपनी कूटनीति को संतुलित रखने की कोशिश में है—यहीं से Modi–Xi thaw का स्पेस बनता है।
- SCO का रोल: आर्थिक सहयोग, विकास बैंक/AI केंद्र जैसी घोषणाएँ मंच की उपयोगिता बढ़ाती हैं; पर असली कसौटी क्रियान्वयन होगी।
क्विक टेकअवे (स्किम-रीडर्स के लिए)
- यह यात्रा 7+ वर्षों बाद चीन में पीएम मोदी की वापसी थी।
- SCO प्लेनरी में आतंकवाद के खिलाफ़ कड़ी एक्शन की मांग—डबल स्टैंडर्ड नहीं।
- Modi–Xi ने साझेदारी पर ज़ोर दिया; बॉर्डर-पीस और ट्रेड बैलेंस फोकस में।
- Modi–Putin मीट ने ऊर्जा/रक्षा सहयोग और बहुध्रुवीय संदेश को हाईलाइट किया।
FAQ
समिट कहाँ और कब हुई?
तियानजिन (चीन) में 31 अगस्त–1 सितम्बर 2025 को 25वाँ SCO शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ।
क्या Modi–Xi की अलग बैठक हुई?
हाँ—द्विपक्षीय में संबंध सुधार, बॉर्डर-स्टेबिलिटी और ट्रेड बैलेंस जैसे मुद्दे उठे।
भारत का कोर मैसेज?
आतंकवाद विरोधी समन्वित कार्रवाई, बॉर्डर-पीस, कनेक्टिविटी और अवसर—यही तीन स्तंभ।
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सुझाए गए कीवर्ड: “PM Modi China Visit 2025”, “SCO Summit Tianjin”, “Modi Xi meeting”, “India China relations”, “Strategic Autonomy India”, “Tianjin Declaration”। इंटरनल-लिंक्स: चीन/विदेश नीति कैटेगरी पेज, India-Russia एनर्जी स्टोरी, Indo-China बॉर्डर explainer।
क्रेडिट/सोर्स लिंक
आधिकारिक रीडआउट: MEA/PMO • प्रमुख रिपोर्टिंग: Reuters, NDTV, The Guardian, Chatham House, Times of India, Hindustan Times • फोटो/वीडियो: Instagram/YouTube एम्बेड।
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