पुत्रदा एकादशी 2025: व्रत कथा, महत्व, विधि व शुभ मुहूर्त
🌺 पुत्रदा एकादशी 2025: व्रत, कथा, मुहूर्त और महत्व की सम्पूर्ण जानकारी 🌺
🕒 एकादशी तिथि प्रारंभ: 6 अगस्त 2025, रात 09:56 बजे
🕒 एकादशी तिथि समाप्त: 8 अगस्त 2025, रात 12:26 बजे
🌅 पारण समय: 8 अगस्त को प्रात: 06:02 बजे से 08:34 बजे तक
🔱 पुत्रदा एकादशी का महत्व
पुत्रदा एकादशी हिन्दू धर्म की एक अत्यंत शुभ और फलदायी एकादशी है। यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपतियों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ इस दिन व्रत करता है, उसे योग्य संतान की प्राप्ति होती है।
📖 व्रत विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- तुलसी पत्र, पीला पुष्प, पंचामृत आदि से पूजन करें।
- ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- दिनभर उपवास रखें — केवल फलाहार करें या निर्जल व्रत भी रखा जा सकता है।
- रात्रि में जागरण एवं श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- द्वादशी के दिन पारण समय में व्रत खोलें।
📜 पुत्रदा एकादशी की पौराणिक कथा
प्राचीन काल में महिष्मती नगरी में महाजन श्रेष्ठ सुप्रतिष्ठित नामक राजा राज्य करते थे। उनका राज्य समृद्ध था, परंतु उन्हें संतान नहीं थी, जिससे वे अत्यंत दुखी रहते थे। उन्होंने कई वर्षों तक यज्ञ, दान, और तप किया, लेकिन संतान की प्राप्ति नहीं हुई।
अंततः वे वन में चले गए और वहाँ महान ऋषियों से मिले। ऋषियों ने उन्हें श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। राजा ने विधिपूर्वक व्रत किया और भगवान विष्णु से संतान प्राप्ति की प्रार्थना की। कुछ समय बाद उन्हें एक योग्य और तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई, जो आगे चलकर एक महान सम्राट बना।
तब से यह व्रत ‘पुत्रदा एकादशी’ के रूप में जाना जाने लगा।
✨ इस व्रत के लाभ
- निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है।
- संतान की रक्षा और उन्नति के लिए भी यह व्रत अत्यंत लाभकारी है।
- पूर्व जन्मों के पाप समाप्त होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
🔔 विशेष सावधानियाँ:
- एकादशी तिथि में चावल का सेवन वर्जित होता है।
- द्वादशी को सूर्योदय के बाद पारण ज़रूर करें, अन्यथा व्रत दोष लगता है।
- व्रत के दौरान झूठ, क्रोध, और परनिंदा से दूर रहें।
🔗 निष्कर्ष (Conclusion)
पुत्रदा एकादशी व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पारिवारिक सुख-शांति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आप संतान सुख की प्राप्ति के लिए प्रयासरत हैं, तो इस पावन व्रत को पूर्ण आस्था और विधिपूर्वक अवश्य करें।
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🔔 जय श्री हरि! 🔔
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