उत्तरकाशी धराली बादल फटना 2025: आपदा की पूरी जानकारी और राहत कार्य
उत्तरकाशी धराली में बादल फटना 2025: आपदा की पूरी जानकारी और राहत कार्य
रिपोर्टर: शिवम वैष्णव | स्थान: धराली, उत्तरकाशी | दिनांक: 5 अगस्त 2025
घटना का संक्षिप्त विवरण
5 अगस्त 2025 को दोपहर करीब 1:45 बजे उत्तरकाशी के धराली गांव में अचानक भारी बारिश के कारण बादल फटना (क्लाउडबर्स्ट) हुआ। इस अप्रत्याशित घटना के चलते तेज पानी और मलबा गांव में घुस गया, जिससे गंभीर तबाही मची।
नुकसान का जायजा
- 4 लोगों की मौत और कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।
- गांव के मकान, होटल, बाजार और सड़कों को भारी नुकसान हुआ।
- राहत कार्य में लगे भारतीय सेना के 10 जवानों का संपर्क अभी तक नहीं हो पाया है।
बादल फटने का कारण
क्लाउडबर्स्ट तब होता है जब बहुत बड़े पैमाने पर भारी बारिश अचानक एक छोटे क्षेत्र में होती है, जिससे flash flood जैसी आपदा आ जाती है। यह घटना खासकर पहाड़ी इलाकों में होती है और जलवायु परिवर्तन की वजह से इसकी आवृत्ति बढ़ रही है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
"नदी के किनारे होटल और घर बनाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए थी। प्रशासन को पहले से चेतावनी देनी चाहिए थी। अब हमें इसी के परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं।"
हमारी सलाह: प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए पूर्व चेतावनी, प्रभावी योजना, और स्थानीय समुदाय की भागीदारी बेहद जरूरी है।
राहत कार्य और प्रशासन की भूमिका
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, ITBP, पुलिस और सेना राहत कार्यों में जुटी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा प्रभावितों के लिए तत्काल मदद का आश्वासन दिया है। प्रशासन स्थिति की समीक्षा कर रहा है और खोज एवं बचाव कार्य जारी हैं।
घटना के प्रमुख वीडियो
ऊपर दिया गया वीडियो NDTV का अधिकारिक कवरेज है जिसमें आप आपदा के दृश्य और राहत कार्य देख सकते हैं।
घटना का सारांश तालिका
विशेषता | विवरण |
---|---|
स्थान | धराली गांव, उत्तरकाशी |
दिनांक एवं समय | 5 अगस्त 2025, 1:45 PM |
मृतकों की संख्या | 4 |
लापता | दर्जनों |
मुख्य कारण | क्लाउडबर्स्ट, अनियोजित निर्माण, जलवायु परिवर्तन |
राहत कार्य में लगे एजेंसियां | एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, ITBP, भारतीय सेना, स्थानीय प्रशासन |
निष्कर्ष
यह घटना सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि विकास योजना और जोखिम प्रबंधन में कमियों का आईना है। ऐसी tragedies को रोकने के लिए बेहतर निर्माण नियम, सतर्कता, और स्थानीय भागीदारी आवश्यक है। साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए सतत योजनाएं बनाना भी बेहद जरूरी है।
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