धनखड़ का इस्तीफा: क्या देश के अंदर चल रहा है कोई बड़ा राजनीतिक खेल?”
🛑 ब्रेकिंग न्यूज़: उपराष्ट्रपति
जगदीप सिंह धनखड़
ने दिया इस्तीफा — विपक्ष में मचा बवाल, क्या छिपा है कोई बड़ा राज?
📅 तारीख: 22 जुलाई 2025
🕒 समय: दोपहर बाद
📍 स्थान: नई दिल्ली
🔥 क्या हुआ?
भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री जगदीप सिंह धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में कहा कि वह स्वास्थ्य कारणों से अपना पद छोड़ रहे हैं। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया।
⚠️ विपक्ष क्यों कर रहा है हंगामा?
सिर्फ इस्तीफे की खबर ही नहीं, बल्कि उसकी टाइमिंग और राजनीतिक पृष्ठभूमि ने पूरे घटनाक्रम को और अधिक रहस्यमयी बना दिया है:
- संसद का मोनसून सत्र चल रहा है और कई संवेदनशील मुद्दे जैसे—
- एक हाई कोर्ट जज को हटाने का प्रस्ताव
- बिहार में मतदाता सत्यापन विवाद
- संसद में कार्यवाही बाधित होना
इन सबके बीच यह इस्तीफा सामने आया। - विपक्ष का आरोप है कि यह इस्तीफा सिर्फ “स्वास्थ्य कारणों” की वजह से नहीं हुआ बल्कि किसी दबाव, संवैधानिक टकराव या फिर आंतरिक सत्ता संघर्ष का परिणाम है।
- कांग्रेस, आप, TMC और RJD सहित कई दलों ने संसद में ज़ोरदार हंगामा किया, वॉकआउट किया और सरकार से स्पष्टता की मांग की।
📜 संविधान क्या कहता है?
- उपराष्ट्रपति अनुच्छेद 67(a) के अंतर्गत राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस्तीफा दे सकता है।
- इस्तीफा स्वीकार होते ही पद रिक्त माना जाता है।
- 60 दिनों के भीतर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव किया जाना ज़रूरी है (अनुच्छेद 68(2))।
- तब तक डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा की कार्यवाही चलाएंगे।
🧠 मेरी राय (लेखक की दृष्टि से):
धनखड़ जी एक तेज़तर्रार, स्पष्टवादी और टकरावप्रिय नेता के रूप में जाने जाते रहे हैं। उनके कार्यकाल में:
- न्यायपालिका से वैचारिक भिड़ंत,
- विपक्ष से तीखे टकराव,
- और राज्यसभा में उनके फैसलों को लेकर लगातार बहसें होती रहीं।
अब सवाल उठता है — क्या वो किसी बड़े टकराव के चलते पीछे हटे? क्या उन्हें पार्टी या सरकार से मनमुटाव हो गया था? या फिर उन्हें बलि का बकरा बनाया गया?
ऐसे इस्तीफे सिर्फ संवैधानिक नहीं, राजनीतिक संकेत भी होते हैं। खासकर जब चुनावी साल हो और विपक्ष मुद्दे तलाश रहा हो।
👉 ये इस्तीफा आने वाले दिनों में सत्ता पक्ष के भीतर बदलावों और विपक्ष की रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
🔍 क्या हो सकता है आगे?
- एनडीए सरकार जल्द नए उपराष्ट्रपति के नाम पर मंथन करेगी।
- विपक्ष इस मुद्दे को जनता के सामने नैरेटिव बनाने की कोशिश करेगा।
- मीडिया, सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर चर्चाएं और आलोचनाएं तेज़ होंगी।
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